वर्तमान समय में दौड़भाग की ज़िन्दगी, व्यस्तता और खान-पान की लापरवाही के कारण बहुत से लोग डायबिटीज की बीमारी के शिकार जो जाते हैं। अनियमित जीवन शैली के कारण डायबिटीज बहुत तेजी से फ़ैल रहा है। सिर्फ अधिक उम्र के लोग ही नहीं, बल्कि आज के समय में युवा और बच्चों के बीच भी डायबिटीज तेजी से फ़ैल रहा है। डायबिटीज एक ऐसा खतरनाक रोग है, जो शरीर को धीरे-धीरे कमजोर बना देता है। एक बार यह बीमारी किसी व्यक्ति को हो जय तो यह बीमारी जीवनभर उस व्यक्ति के साथ ही रहती है। ब्लड शुगर बढ़ने से ही डाईबिटीज की बीमारी होती है और इंसुलिन सही तरीके से काम नहीं करता है। इस बीमारी में कई तरह की समस्याओं से सामना करना पड़ता है। इसको नजरअंदाज करने पर यह बीमारी शरीर के दूसरे अंगों को भी निष्क्रिय कर देती है। डायबिटीज की बीमारी कैसे होती है, डायबिटीज के कारण और लक्षण क्या हैं, इससे कैसे बचा जा सकता है इस लेख में आज हम आपको डायबिटीज से जुड़ी प्रत्येक जानकारी दे रहे हैं।
मधुमेह अथवा डायबिटीज क्या है?
मनुष्य के शरीर में कई क्रियाएं होती रहती हैं। उन सभी क्रियाओं को सम्पन्न करने के लिए हमें ऊर्जा की आवश्यकता होती है। और ऊर्जा की पूर्ती भोजन से होती है। जब हम भोजन करते हैं, तो उससे हमारे शरीर को ग्लूकोज प्राप्त होता है। इस ग्लूकोज़ को शरीर में मौजूद कोशिकाएं शरीर को ऊर्जा प्रदान करने में उपयोग करती हैं। हमारे शरीर में पैन्क्रियाज़ ग्रंथि से इन्सुलिन स्राव होता है। और जब पैन्क्रियाज़ ठीक मात्रा में इन्सुलिन का स्राव नहीं करता है, तो शरीर में इंसुलिन की उपलब्धता नहीं होती है। शरीर में मौजूद कोशिकाएं ठीक तरह से अपना कार्य नहीं कर पाती हैं। और रक्त से कोशिकाओं को ग्लूकोज नहीं पहुंचा पाता है। फलस्वरूप ग्लूकोज रक्त में ही एकत्रित हो जाता है। और रक्त में अतिरिक्त ग्लूकोज एकत्रित होना अत्यधिक नुकसानदायक होता है। यह स्थिति मधुमेह, Diabetes अथवा शूगर की बीमारी को जन्म देती है।
डायबिटीज मेलिटस (diabetes mellitus) क्या है?
अलग अलग शूगर लेवल और परिस्थितियों के अनुसार डायबिटीज मेलिटस (diabetes mellitus) एक तरह से विभिन्न प्रकार के डायबिटीज की बीमारियों का समूह है। विभिन्न प्रकार की डायबिटीज मेलिटस की बीमारियां रक्त शर्करा के विभिन्न स्तरों से संबंधित होती हैं। शरीर के एक महत्वपूर्ण अंग पैंक्रियाज़ से इन्सुलिन का स्राव होता है। इन्सुलिन से शरीर में रक्त शर्करा के स्टार को नियंत्रित किया जाता है। रक्त शर्करा (Blood Sugar) के स्तर को नियंत्रित करने वाले इंसुलिन की संवेदनशीलता और कोशिकाओं में प्रवाह अच्छे तरीके से न होना ही डायबिटीज मेलिटस का मुख्य कारण है।
डायबिटीज मेलिटस क्या है ? (what is diabetes mellitus) अधिकतर लोगों को इस सम्बन्ध में कोई भी जानकारी नहीं होती है की डायबिटीज मेलिटस क्या है। वास्तव में, डायबिटीज मेलिटस मेटाबॉलिज्म (Metabolism) से सम्बंधित कई बीमारियों के समूह का नाम है। अधिकतर लोग डायबिटीज मेलिटस (Diabetes Mellitus) के शब्द संक्षेप डीएम (DM) से ही इस बीमारी को जानते हैं। सामान्य शब्दों में जिसे लोग डायबिटीज की बीमारी कहते हैं। लेकिन यह आसान भाषा में कहा जाता है। डायबिटीज मेलिटस के समूह में 4 बीमारियां सम्मिलित है। 1. टाइप 1 डायबिटीज, 2. टाइप 2 डायबिटीज, 3. गर्भावधि डायबिटीज और 4. सेकेंडरी डायबिटीज मुख्य रूप से डायबिटीज मेलिटस के प्रकार हैं।
डायबिटीज के कारण (Causes of Diabetes) –
यह सर्वविधित है कि मानव शरीर में स्थित पैंक्रियाज़ ग्रंथि के ठीक से कार्य न कर पाने के कारण ही मधुमेह अथवा शूगर की बीमारी हो जाती है। वैसे तो मधुमेह की बीमारी होने के और भी कई कारण है, परन्तु पैंक्रियाज़ ग्रंथि के अनियमित होना ही प्रमुख कारण है। पैंक्रियाज़ ग्रंथि से कई तरह के हार्मोन्स स्राव होते हैं। जिनमें से इन्सुलिन और ग्लुकोन ही महत्वपूर्ण हैं। शूगर की बीमारी को रोकने में इन्सुलिन की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है। शुगर ऊर्जा का मुख्य स्रोत होता है। शरीर को ऊर्जा प्रदान करने के लिए इन्सुलिन ही रक्त में कोशिकाओं तक शुगर पहुँचाने का कार्य करता है। इन्सुलिन शुगर को कोशिकाओं तक पहुँचाने के लिए वाहक का कार्य करता है। इन्सुलिन के कम निर्माण होने से ही डायबिटीज की बीमारी होती है। जब भी इन्सुलिन का कम निर्माण होता है, तो रक्त में कोशिकाओं को शुगर पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पता है। जिससे कोशिकाओं में ऊर्जा की कमी होने लगती है। फलस्वरूप यह स्थिति शरीर को नुकसान पहुँचाती है। जैसे अत्यधिक भूख और प्यास, ज़्यादा बार पेशाब आना और मुंह सूखना, वजन में कमी और थकान, सिरदर्द और चिड़चिड़ापन, धीमे-धीमे घाव ठीक होना और धुंधली दृष्टि, हाथ या पैर में झुनझुनी या सुन्नता, सेक्स ड्राइव में कमी (कामेच्छा में कमी) इत्यादि। उपरोक्त कारण के अतिरिक्त निम्नलिखित वजह से भी शुगर की बीमारी होती है।
- अनुवांशिक भी डायबिटीज होने का मुख्य कारण होता है। यदि किसी व्यक्ति के परिवार के किसी सदस्य को शुगर है तो भविष्य में उस व्यक्ति को भी डायबिटीज होने की आशंका बढ़ जाती है।
- मोटे लोगों को भी डायबिटीज होने का ज़्यादा खतरा हमेशा बना रहता है। यदि किसी व्यक्ति का वजन बढ़ा हुआ है और उच्च रक्त चाप व कॉलेस्ट्रॉल भी संतुलित नहीं है तो वह व्यक्ति भी डायबिटीज का शिकार हो सकता है। इसके अतिरिक्त व्यायाम न करना अथवा निष्क्रिय बने रहना भी डायबिटीज को निमंत्रण देती है।
पैंक्रियाज़ में इन्सुलिन के कम स्राव से रक्ति की कोशिकाओं को शुगर नहीं पहुँच पाता है। जिससे शुगर रक्त में ही जमा हो जाता है। जिसकी कि अधिकता हो जाती है। और फलस्वरूप इस शुगर को मूत्र के जरिये निष्काषित किया जाता है। फिर रोगी को बार बार पेशाब आती है।
डायबिटीज के लक्षण (Symptoms of Diabetes) –
डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जिससे सभी को सावधान रहना चाहिए। इसलिए यह आवश्यक हो जाता है की डायबिटीज के लक्षणों को जानें और यदि कोई भी लक्षण महसूस हो तो डॉक्टर से तुरंत जाँच कराएं। तो चलिए डायबिटीज के लक्षणों को जानते हैं। डायबिटीज के निम्नलिखित लक्षण होते हैं।
यदि आपको निम्न में से कोई भी मधुमेह के लक्षण हैं, तो अपने रक्त शर्करा की जांच करवाने के लिए अपने डॉक्टर से मिलें:
1. बार बार पेशाब , अक्सर रात में।
2. बहुत प्यास लगना।
3. वजन कम होना।
4. ज़्यादा भूख लगना।
5. दृष्टि धुंधली होना।
6. हाथ या पैर सुन्न या झुनझुनी होना।
7. बहुत थकान महसूस होना।
8. बहुत शुष्क त्वचा होना।
9. घाव धीरे-धीरे ठीक होना।
10. सामान्य से अधिक संक्रमण होना।
मधुमेह के प्रकार एवं लक्षण –
मधुमेह निम्नलिखित प्रकार का होता है।
टाइप 1 मधुमेह के लक्षण –
जिन लोगों को मतली, उल्टी या पेट दर्द की शिकायत होती है। वे लोग टाइप 1 मधुमेह से ग्रसित हो सकते हैं। टाइप 1 मधुमेह के लक्षण कुछ ही हफ्तों या महीनों में विकसित हो सकते हैं और गंभीर हो सकते हैं। टाइप 1 मधुमेह से आमतौर पर कोई व्यक्ति तब पीड़ित होता है जब वह किशोवस्था में होता है। वैसे टाइप 1 किसी भी उम्र में हो सकता है।
टाइप 2 मधुमेह के लक्षण –
टाइप 2 मधुमेह के लक्षण विकसित होने में कई वर्ष लग जाते हैं। क्योंकि डायबिटीज की बीमारी तुरंत नहीं होती है। यह एक धीमी प्रक्रिया है। जब शुगर लेवल बढ़ता है, तो वह एक दिन इसके अधिकतम स्तर तक पहुँचता है। तब ही डायबिटीज टाइप 2 प्रतीत होता है। कुछ लोगों को बिल्कुल भी कोई लक्षण नज़र नहीं आता है। टाइप 2 मधुमेह आमतौर पर तब शुरू होता है जब कोई भी व्यक्ति वयस्क की आयु तक पहुँचता है।
गर्भावधि मधुमेह के लक्षण –
गर्भकालीन मधुमेह (गर्भावस्था के दौरान मधुमेह) के आमतौर पर कोई लक्षण नहीं होते हैं। यदि कोई महिला गर्भवती हैं, तो उसे डॉक्टर को गर्भावस्था के 24 से 28 सप्ताह के बीच गर्भकालीन मधुमेह के लिए परीक्षण करवाना आवश्यक है।
डायबिटीज की जांच (Test) –
वर्तमान में अधिकतर लोगों की दिनचर्या ऐसी हो गयी है कि अपने स्वस्थ के प्रति सजगता नहीं दिखती है।लेकिन फिर भी आजकल अधिकतर लोग इस बीमारी की चपेट में हैं। अपने स्वस्थ के प्रति सजगता दिखाते हुए प्रत्येक व्यक्ति को डायबिटीज का परीक्षण अवश्य कराना चाहिए।
डायबिटीज का पता करने के लिए निम्नलिखित परीक्षण किये जाते हैं। प्रीडायबिटीज, टाइप 1, टाइप 2 या जेस्टेशनल डायबिटीज को सुनिश्चित करने के किये ब्लड शुगर की जाँच की जाती है। और परिणाम आमतौर पर जल्दी उपलब्ध होते हैं। टाइप 1 डायबिटीज, टाइप 2 डायबिटीज और प्रीडायबिटीज की पुष्टि के लिए निम्नलिखित टेस्ट किये जाते हैं।
1. HbA1c या A1C Test –
HbA1c टेस्ट एक सामान्य परीक्षण होता है। HbA1c परीक्षण को ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन, ग्लाइकोसिलेटेड हीमोग्लोबिन, हीमोग्लोबिन A1C या HbA1c परीक्षण भी कहा जाता है। जिसमें टाइप 1 मधुमेह, टाइप 2 मधुमेह की पहचान करने के लिए किया जाता है। यह परीक्षण पिछले 2 या 3 महीनों आपके औसत रक्त शर्करा के स्तर को प्रतिशतता में मापता है । इसका परीक्षण इसलिए भी किया जाता है कि व्यक्ति शर्करा के स्तर को कितने प्रभावी तरीके से बनाये रखता है। HbA1c परीक्षण का परिणाम यदि 5.7% से नीचे है , तो यह सामान्य होता है। एवं 5.7% और 6.4% के बीच यह इंगित करता है कि आपको प्रीडायबिटीज है, और 6.5% या इससे अधिक यह दर्शाता है कि आपको मधुमेह है।
HbA1c परीक्षण के परिणाम आम तौर पर रक्त शर्करा स्तर के निम्नलिखित परिणामों को दर्शाते हैं
HbA1cस्तर | अनुमानित औसत रक्त शर्करा स्तर |
6% | 126 mg/dL (7 mmol/L) |
7% | 154 mg/dL (8.6 mmol/L) |
8% | 183 mg/dL (10.2 mmol/L) |
9% | 212 mg/dL (11.8 mmol/L) |
10% | 240 mg/dL (13.4 mmol/L) |
11% | 269 mg/dL (14.9 mmol/L) |
12% | 298 mg/dL (16.5 mmol/L) |
2. उपवास रक्त शर्करा परीक्षण (Fasting Blood Sugar Test) –
Fasting Blood Sugar Test जैसा की टेस्ट के नाम से ही स्पष्ट है कि यह टेस्ट खली पेट किया जाता है अर्थात इस टेस्ट को करने के लिए व्यक्ति को लगभत 8 घंटे खली पेट होने पर ही किया जाता है। यह टेस्ट सुबह किया जाता है। इसमें उंगली से रक्त को Glucometer पर टेस्ट करने के लिए निकाला जाता है। यह रात भर के उपवास (खाना नहीं खाने) के बाद आपके रक्त शर्करा को मापता है। 99 mg/dL या उससे कम रक्त शर्करा का स्तर सामान्य है, 100 से 125 mg/dL इंगित करता है कि आपको प्रीडायबिटीज (Prediabetes) है, और 126 mg/dL या इससे अधिक दर्शाता है कि आपको मधुमेह है।
3. ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट (Glucose Tolerance Test) –
Glucose Tolerance Test आपको यह बताता है कि आपका शरीर शर्करा के सम्बन्ध में कैसी प्रतिक्रिया देता है। इसमें सबसे पहले खाली पेट अर्थात (Fasting) में यह परीक्षण किया जाता है। और फिर ग्लूकोज़ युक्त तरल पदार्थ पीने के बाद दूसरा परीक्षण किया जाता है। यह आपके द्वारा ग्लूकोज युक्त तरल पीने से पहले और बाद में आपके रक्त शर्करा को मापता है। ग्लूकोज़ युक्त तरल पदार्थ पीने के बाद 1 घंटे, 2 घंटे और संभवत: 3 घंटे बाद अपने रक्त शर्करा के स्तर की जांच की जाती है। 2 घंटे में, 140 mg/dL या उससे कम का रक्त शर्करा स्तर सामान्य माना जाता है, 140 से 199 mg/dL इंगित करता है कि आपको प्रीडायबिटीज है, और 200 mg/dL या इससे अधिक यह इंगित करता है कि आपको मधुमेह है।
4. रैंडम ब्लड शुगर टेस्ट (Random Blood Sugar Test) –
Random Blood Sugar Test परीक्षण के समय के रक्त शर्करा स्तर को मापता है। आपका यह परीक्षण किसी भी समय किया जा सकता हैं और इस परीक्षण को करने के लिए पहले उपवास (आहार न लेना) की आवश्यकता नहीं होती है। परीक्षण उपरांत यदि रीडिंग 200 mg/dL या इससे अधिक का रक्त शर्करा स्तर इंगित करता है कि आपको निश्चित तौर पर मधुमेह है।
परिणाम | HbA1c (A1C) टेस्ट | उपवास रक्त शर्करा परीक्षण | ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट | रैंडम ब्लड शुगर टेस्ट |
मधुमेह | 6.5% या उससे अधिक | 126 mg/dL या अधिक | 200 mg/dL या इससे अधिक | 200 mg/dL या इससे अधिक |
प्रीडायबिटीज | 5.7 – 6.4% | 100 – 125 mg/dL | 140 – 199 mg/dL | उपलब्ध नहीं |
सामान्य | 5.7% से नीचे | 99 mg/dL या उससे कम | 140 mg/dL या उससे कम | उपलब्ध नहीं |
डायबिटीज से कैसे बचाव किया जा सकता है?
डायबिटीज़ एक गंभीर रोग है जिससे किसी भी व्यक्ति को जीवन भर परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।यदि किसी भी व्यक्ति को डायबिटीज हो जाय, तो यह रोग जीवन भर उस व्यक्ति के साथ बनी रहती है। डायबिटीज़ से पीड़ित व्यक्ति को स्वास्थ्य से जुड़ी कई तरह की परेशानियां झेलनी पड़ सकती हैं। लेकिन अपने जीवन में कुछ सावधानियां बरतकर डायबिटीज की बीमारी से बचा जा सकता है।
1. अपने भोजन में मीठे का कम सेवन करना चाहिए। शक्कर और कार्बोहाइड्रेट वाले भोजन से परहेज करें।
2. डायबिटीज वाले रोगी को हमेशा सक्रिय रहना चाहिए। प्रत्येक दिन व्यायाम करें। और प्रतिदिन सुबह-शाम टहलने अवश्य जाएं। विशेषज्ञों के अनुसार स्वस्थ रहने के लिए किसी भी व्यक्ति को प्रतिदिन 8000 स्टेप्स अथवा 6 किलोमीटर पैदल चलना चाहिए।
3. डायबिटीज के रोगी को हमेशा पानी ज़्यादा आवश्यक रूप से पीना चाहिए। मीठे शर्बत, सोडा वाले ड्रिंक्स, आइसक्रीम और कैंडीज़ खाने से परहेज करें।
4. वजन को हमेशा नियंत्रण में रखें। यदि अधिक मोटापा है तो अतिरिक्त वजन को घटाएं और नियंत्रण में रखें। ज़्यादा वजन होने से डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है।
5. धूम्रपान एवं एल्कोहॉल का सेवन करने से परहेज करें। यह आदत डायबिटीज के रोग को बढ़ावा देता है।
6. भोजन में हाई फाइबर डायट खाएं। प्रोटीन का सेवन भी अधिक मात्रा में करना चाहिए। 7. अपने शरीर में कभी भी विटामिन डी की कमी ना होने दें। क्योंकि शरीर में विटामिन डी की कमी से डायबिटीज़ का ख़तरा बढ़ता है।